DETAILS, FICTION AND HINDI STORY

Details, Fiction and hindi story

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चीन और फ़िलीपीन्स के जहाज़ टकराए, शुरू हुआ आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला

Throughout the pages of our book, kids will be part of Leo and his Mother because they explore the importance of good hand washing.

एक समय की बात है। एक अमीर जमींदार रहता था, उसके पास कई जमीनें थीं लेकिन वह कंजूस था। पैसे उधार देते समय वह बहुत सतर्क रहता था। इसलिए, गांव के किसान कभी भी उसकी जमीन पर खेती करने के लिए तैयार नहीं हुए। प्रत्येक बीतते दिन के साथ, ज़मींदार की ज़मीन अपनी जल धारण शक्ति खोने लगी और बंजर बन गई।

बहुत-से लोग यहाँ-वहाँ सिर लटकाए बैठे थे जैसे किसी का मातम करने आए हों। कुछ लोग अपनी पोटलियाँ खोलकर खाना खा रहे थे। दो-एक व्यक्ति पगड़ियाँ सिर के नीचे रखकर कम्पाउंड के बाहर सड़क के किनारे बिखर गए थे। छोले-कुलचे वाले का रोज़गार गर्म था, और कमेटी के नल मोहन राकेश

एक बार की बात है, एक बाघ पिंजरे में कैद हो गया। उसने खुद को बहार करने की कोशिश की लेकिन हर बार नाकाम रहा। उसने देखा कि एक ब्राह्मण रास्ता पार कर रहा है। बाघ ने ब्राह्मण से उसकी मदद करने के लिए कहा लेकिन आदमी ने बाघ के खा जाने के डर से मदद करने से मना कर दिया। बाघ मदद के लिए बहुत रोया और उसे न खाने का वादा किया। अंत में, ब्राह्मण ने उसे पिंजरे से मुक्त करने का फैसला किया।

एक झोंपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए थे और अंदर बेटे की जवान बीवी बुधिया प्रसव-वेदना में पछाड़ खा रही थी। रह-रहकर उसके मुँह से ऐसी दिल हिला देने वाली आवाज़ निकलती थी, कि दोनों कलेजा थाम लेते थे। जाड़ों प्रेमचंद

काफी देर भटकने के बाद उसे जोर से भूख और प्यास लगी।

संत से कहा – आप जानते हैं बिच्छू का स्वभाव नुकसान पहुंचाने का होता है।

Picture: Courtesy Amazon A novel composed by Kashinath Singh, this Hindi fiction guide was at first printed in Hindi. Established within the spiritual and cultural hub of Varanasi, the novel supplies a vivid portrayal of the city’s multifaceted everyday living and its socio-cultural intricacies. Kashinath Singh explores the complexities of the town from the lens of its residents, capturing the essence of Varanasi’s historical traditions, religious techniques, along with the clash amongst modernity and age-outdated customs.

(एक) बड़े-बड़े शहरों के इक्के-गाड़ी वालों की ज़बान के कोड़ों से जिनकी पीठ छिल गई है, और कान पक गए हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि अमृतसर के बंबूकार्ट वालों की बोली का मरहम लगावें। जब बड़े-बड़े शहरों की चौड़ी सड़कों पर घोड़े की पीठ चाबुक से धुनते हुए, इक्के वाले चंद्रधर शर्मा गुलेरी

अमूल अमेरिकी दूध बाज़ार पर पकड़ बनाने के लिए कर रहा ये कोशिश

किसी श्रीमान ज़मींदार के महल के पास एक ग़रीब अनाथ विधवा की झोंपड़ी थी। ज़मींदार साहब को अपने महल का अहाता उस झोंपड़ी तक बढ़ाने की इच्छा हुई, विधवा से बहुतेरा कहा कि अपनी झोंपड़ी हटा ले, पर वह तो कई ज़माने से वहीं बसी थी; उसका प्रिय पति और इकलौता पुत्र माधवराव सप्रे

उसके शरीर का आधा हिस्सा हिंदुस्तान और आधा पाकिस्तान की सीमा में आता है.

कहानी के click here जोबन का उभार और बोल-चाल की दुलहिन का सिंगार किसी देश में किसी राजा के घर एक बेटा था। उसे उसके माँ-बाप और सब घर के लोग कुँवर उदैभान करके पुकारते थे। सचमुच उसके जीवन की जोत में सूरज की एक सोत आ मिली थी। उसका अच्छापन और भला लगना कुछ ऐसा न था जो इंशा अल्ला ख़ाँ

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